हड़प्पन सिविलाइजेशन’ का केंद्रीय मंत्री न े किया लोकार्पण.

नई दिल्ली. वरिष्ठ इतिहासकार अमित राय जैन व डॉक्टर आंचल जैन लिखित पुस्तक ‘हड़प्पन सिविलाइजेशन’ का लोकार्पण केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री महेश शर्मा ने किया. लोकार्पण समारोह 6 जुलाई को सायंकाल 4:00 से 6:00 बजे के बीच नेशनल म्यूजियम ऑडिटोरियम-जनपथ में आयोजित हुआ, ‘नेशनल म्यूजियम’ व ‘किताबवाले’ की देखरेख में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफ़ेसर सतीश चंद्र मित्तल ने की, साथ ही विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त सचिव डॉ. सुरेंद्र कुमार जैन, नेशनल म्यूजियम के निदेशक डॉ. बीआर मणि व इंडियन आरकेयोलॉजिकल सोसाइटी-नयी दिल्ली के सचिव केएन दीक्षित प्रमुख रूप से उपस्थित रहे, किताब का प्रकाशन देश के प्रमुख प्रकाशक ‘किताबवाले’ ने किया है

कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों के स्वागत से हुआ, प्रकाशक किताबवाले की तरफ से प्रशांत जैन ने अतिथियों का स्वागत किया और बताया कि ‘हड़प्पन सिविलाइजेशन’ में लेखक ने बताया है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में स्थित बरनावा की सिनौली साइट से हड़प्पाकालीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं. किताब यह भी उजागर करती है कि वामपंथी इतिहासकारों ने इतिहास लेखन करते समय वैदिक संस्कृति को पूरी तरह से नजरअंदाज किया है. किताब यह भी प्रतिष्ठापित करती है की सभ्यता में भारतीय जनमानस का योगदान सर्वोपरि रहा है. सिंधुकालीन सभ्यता से अब तक के मानव जीवन का क्रमबद्ध विवरण पुस्तक में समाहित है. लेखक अमित राय जैन विगत कई वर्षों से सिनौली साइट पर शोध कर रहे थे.

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एवं पुरातत्व सर्वेक्षण लाल किला के संयुक्त तत्वावधान में सिनौली में चल रहे उत्खनन से अत्यंत मानवीय सभ्यता के दुर्लभ पुरावशेष प्राप्त हुए हैं। दरअसल, 2005 में सिनौली उत्खनन ने संपूर्ण विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था। विश्व के सबसे बड़ा शवाधान केंद्र के रूप में सिनौली स्थल को माना गया क्योंकि वहां से ताम्रनिधि, स्वर्णनिधि के साथ अत्यंत दुर्लभ प्रकार के पुरावशेष प्राप्त हुए थे। अब पुन: 2018, 15 फरवरी से इतिहासकारों के प्रस्ताव पर बरनावा उत्खनन की टीम ने यहां ट्रायल ट्रेंच लगाया तो उन्हें ताम्रयुगीन सभ्यता की तलवारें आदि प्राप्त हुए। उत्खनन का कार्य आगे बढ़ा तो वहां से करीब 5000 वर्ष पुरानी सभ्यता के शवाधान केंद्र जोकि दुर्लभतम श्रेणी में रखा जाएगा, प्राप्त हुआ।

शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक अमित राय जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि सिनौली उत्खनन से प्राप्त आठ मानव कंकाल एवं उन्हीं के साथ दैनिक उपयोग की खाद्य सामग्री से भरे मृदभांड, उनके अस्त्र-शस्त्र, औजार एवं बहुमूल्य मनकें यह सिद्ध करते हैं कि यहां 5000 वर्ष पुरानी सभ्यता विद्यमान थी।