देश में निपाह वायरस फैल गया है.कोई भी फल ध्यान से देखकर ही खाएं–केरल में निपाह से नौ लोगों की मौत हो गई है.ये गादुर पक्षी का कमाल है.गादुर पेड़ पर उल्टे लटकने वाले पक्षी हैं.इनका मुंह गीदड़ और सियार जैसा होता है.ये चमगादड़ ख़ानदान के हैं लेकिन होते हैं चमगादड़ से बड़े.ये दिन में पेड़ों पर उल्टे लटककर आराम करते हैं और रात से भोर तक जब तक अंधेरा रहता है ये भोजन की तलाश में निकलते हैं.गादुर तीन सौ ग्राम से लेकर कई-कई किलो तक के होते हैं.इनको भारतीय संस्कृति में मनहूस माना गया है.गादुर फल खाते हैं,अमरूद इनका पसंदीदा फल है लेकिन आम, खजूर ,खजूर के रस समेत हर लोकल फल भी इन्हें ख़ूब रास आते हैं.गादुर की मुंह की लार में लाखों बैक्टीरिया होते हैं.गादुर बहुत गंदगी पसंद होते हैं.मुंह से फल खाकर और मुंह से ही चूसकर उसे उगल देते हैं.इनके अंदर का जब कोई बैक्टीरिया माहामारी का रूप लेता है और वायरस बन जाता है तो उसका इलाज और उसकी काट अभी मेडिकल साइंस में संभव नहीं हो सकी है.केरल में निपाह वायरस से पीड़ित मरीज़ों की सेवा करने वाली नर्स की भी कल मौत हो गई है. ये वायरस गादुर जिन्हें फ़्रूट बैट या फ्लाइंग फ़ाक्स भी कहा जाता है ,उसकी लार से फैलने के बाद मनुष्य या किसी जानवर के शरीर में प्रवेश करता है तो मनुष्य या जानवर से ही दूसरे मनुष्यों या जानवरों में फैलता है.आमतौर पर यह इंसान में और सूअर में फैलता है.गादुर का ख़तरनाक वायरस इम्युनिटी को ब्रस्ट कर देता है. एचआईवी में तो इम्युनिटी ख़त्म होने की प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है लेकिन गादुर के ख़तरनाक वायरस की इम्युनिटी ख़त्म करने की प्रक्रिया बहुत तेज़ होती है.गादुर पक्षी कुछ भूरे और काले रोएं वाले होते हैं. दिन में जब पेड़ पर उल्टे लटककर सोते हैं तो अपने परों से शरीर को ढक लेते हैं.जब गर्मी लगती है परों से ही पंखा झल लेते हैं.ये स्तनधारी हैं और बच्चे देते हैं.बच्चे जब पैदा होते हैं तो पूरे विकसित होते हैं बस साइज़ में छोटे होते हैं. गादुर के बच्चे पांच साल तक मादा गादुर पर आश्रित रहते हैं.गादुर जोड़ा बनाकर रहते हैं.नर गादुर के शरीर में एक ऐसी थैली होती है जिसमें से मुंह से बाहर रस निकालकर ये अपने पेड़ों को चिन्हित करते हैं.ताकि बाकी गादुर उस पेड़ से तब तक दूर रहें जब तक गादुर के बच्चे ख़ुद फल खाने के लिए पेड़ पर आने लायक नहीं हो जाते.गादुरों में एक राजा होता है उसी के नेतृत्व में गादुर रात में फल खाने के लिए उड़ान भरते हैं.तकरीबन बावन गज से लेकर कई सौ गज की ऊंचाई तक उड़ सकते हैं.मादा परों के बीच बच्चों को लेकर उड़ती है.गादुर की सूंघने और सुनने की क्षमता गजब की होती है.रात में इन्हें बिल्कुल साफ़ दिखता है और दिन में धुंधला.गादुर लाखों साल पुराने पक्षी हैं और दुनिया के सबसे पुराने परिंदों में से एक हैं.गादुर तकरीबन तीस साल की उम्र तक जीते हैं. अब कोई ये न सोचे कि उसने गादुर देखे नहीं तो उसके इलाके में नहीं रहते होंगे.ये हर जगह रहते हैं.रात को किलोल करते हैं.आपस में कुश्ती भी लड़ते हैं.पुराने लोग इन्हें पहचानते थे.आज के नए दौर में किसी को वैसे भी कहाँ फुर्सत है कि गादुर को उल्टा लटकते देखे.यूँ भी गादुर बहुत छिपकर ऊंचाई वाले पेड़ों पर रहते हैं और परों से ख़ुद को यूँ ढक लेते हैं कि जल्दी किसी की नज़र नहीं पड़ती.शारिक़ के आज़मगढ़ शहर के कंपनी बाग़ जिसे कुंवर सिंह पार्क अब कहा जाता है, वहाँ सैकड़ों की संख्या में गादुर पेड़ों पर उल्टे लटके रहते हैं.वजह कि पार्क के पास पांच किलोमीटर के घेरे में अमरूद और आम के कई बाग हैं. जैसे हथिया गांव में अमरूद का बड़ा बाग़ है.तो बागों के आसपास ही थोड़ी दूरी बनाकर इनका आश्रय स्थल होता है जो कोई पेड़ ही होता है.पार्क में अशोक के पेड़ पर बहुत से गादुर रहते हैं.शारिक़ ने ख़ूब देखे हैं और हमारे दोस्तों-परिचितों समेत शहर के बहुत से लोगों ने देखे हैं.तस्वीर भी इनकी खींची लेकिन आम कैमरे से साफ़ नहीं आती और बहुत ध्यान से गादुर को देखना भी पड़ता है.नंगी आंखों से बहुत ध्यान देने पर साफ़ दिख जाते हैं.अगर कोई प्रोफेशनल वाइल्ड लाइफ़ फ़ोटोग्राफ़र हाई पावर स्टिल और वीडियो कैमरा लेकर इनके पीछे पड़े तो इनकी हर गतिविधि क़ैद हो सकती है.नाइट विज़न कैमरे से प्रोफेशनल फ़ोटोग्राफ़र इनकी रात की गतिविधि भी क़ैद कर सकते हैं.ख़ैर.मुख्य सवाल ये है कि इस निपाह वायरस से कैसे बचा जाए.अगर वायरस किसी पीड़ित व्यक्ति के संपर्क से लग गया तो बचना मुश्किल है लेकिन आमतौर पर बचाव ऐसे किया जा सकता है कि आप जब भी कोई फल आजकल ख़रीदें या पेड़ से तोड़ें तो ध्यान यह दें कि फल पर कहीं किसी पक्षी की चोंच लगने जैसा निशान,या फल कटा-फटा तो नहीं है.अगर है तो उस फल का बिल्कुल सेवन न करें. बाकी मेडिकल साइंस निपाह वायरस से निपटने का प्रयास कर रही है.केरल में मेडिकल रेड अलर्ट है.ऐसा हो नहीं लेकिन एक गादुर में वायरस आया तो सभी इन्फ़ेक्टेड हो सकते हैं. और ये वायरस देश के हर हिस्से में पहुंचने में समय नहीं लगेगा.या हो सकता है पहुंच गया हो.निपाह वायरस गादुर फैला रहे हैं न कि आम चमगादड़.डॉक्टर और विशेषज्ञ समझ रहे हैं कि ये गादुर का खेल है लेकिन मीडिया इसे चमगादड़ समझ रहा है.आप लोग फल खाने में सावधानी बरतकर कुछ हद तक इस वायरस से अपना बचाव कर सकते हैं.लाख फल वाला कहे कि ये फल गिरने से फट गया या ढुलाई में ख़राब हो गया लेकिन आजकल ऐसे फल बिल्कुल न लें जो दागी हों.–
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