वाट्सऐप और फेसबुक को केवल ईमानदारी से अपन ी बात को कहने व अपने खास का मैसेज पढ़ने के लिए उ पयोग करें।

– दलितों को लग रहा कि जल्द ही नई संविधान सभा गठित होने वाली है जिसमें मनुस्मृति के नियमों को लागू किया जाना है और उनके विकास में रिवर्स गियर लग जाएगा जो उन्हें सीधे उत्तर वैदिक काल में ले जाएगा।

– हिंदुओं को लग रहा है कि आने वाले कुछ वर्षों में भारत मुस्लिम राष्ट्र बन जाएगा और भारत में औरंगजेब शासन आ जाएगा।

– मुस्लिमों को लग रहा है कि RSS कुछ ही दिनों में ISIS जैसा खूंखार संगठन बन जाएगा और आतंकवाद का रंग भगवा हो जाएगा।

– सवर्ण को लग रहा है कि आरक्षण की वजह से उसकी युवा पीढ़ी बेरोजगार और बेचारी होती जा रही है।

ये सभी कल्पनाएँ कहाँ से उपजीं?
क्या वास्तव में हमारे आसपास ऐसे हालात पनप रहें हैं या कुछ और??

अगर हम ईमानदारी से विश्लेषण करेंगे तो पाएंगे कि असल में ये सारी अवधारणाएं वाट्सऐप और फेसबुक पर अंधाधुंध फैलाए जा रहे उन्मादी कापी पेस्ट का नतीजा हैं।

ये कापी पेस्ट लंबे लंबे मैसेज,भड़काऊ फोटो और तमाम वीडियो की शक्ल में बहुतायत से प्रचलित हैं।

अगर हम सोशल मीडिया की छद्म दुनिया से निकलकर अपने आसपास लोगों को देखें तो यकीनन एक सौहार्दपूर्ण भारत नज़र आएगा.. लेकिन *अगर हम अभी भी नहीं चेते और इन्हीं वाहियात फारवर्डेड मैसेजों के आधार पर दूसरों के लिए अपनी अवधारणाएं बनाते रहे तो यह भी संभावना है कि पास में खड़ा आदमी अचानक हमला कर बैठे।*

ये सब राजनैतिक प्रयोजन हैं इनमें उलझने से हमारी जानें जाएंगी, हमारे घर जलेंगे यहां तक कि पुलिस भी हमें ही धुनेगी….. सत्ता की पंजीरी वे लूटेंगे जिन्होंने मैसेजों की बमबारी के लिए आईटी कम्पनियां नियुक्त की हैं….

इसलिए…. सावधान रहिये … नफरत फैलाने वाली कोई भी पोस्ट शेयर न करें। हम अभी भी अजनबियों को चाचा ताऊ भैया दद्दा कहने वाली संस्कृति के वाहक हैं। हममें से कोई नहीं है जो जाति पूछकर संबोधन करता हो। सोशल मीडिया से फैलती आग में जलने और समाज को जलाने से बचें और जातिगत व धार्मिक नफरत फैलाने वाले ग्रुपों को एक्जिट करें फिर देखिए हमारा परिवेश कितना सौहार्दपूर्ण होगा।

वाट्सऐप और फेसबुक को केवल ईमानदारी से अपनी बात को कहने व अपने खास का मैसेज पढ़ने के लिए उपयोग करें।

व्यर्थ से बचें।

जय हिन्द… जय भारत…