GURU GOVIND SINGH GREAT WARROR BY R K SINHA , RAJYA SABHA MP

दुनिया के इतिहास में ऐसा युद्ध न कभी किसी ने पढ़ा होगा न ही कभी किसी ने सोचा होगा, जिसमे 10 लाख की फ़ौज का सामना महज 40 लोगों के साथ हुआ था और 10 लाख की फ़ौज के सामने अन्तत जीते है वे मात्र 40 रणबाँकुरे !
चमकौर का युद्ध 1704 में 6 दिसम्बर को गुरु गोविंद सिंह और औरंगज़ेब के सेनापति वजीर खान की अगुआई में मुगलों की सेना के बीच पंजाब के चमकौर में लड़ा गया था। इस युद्ध में मुगलों की विशाल सेना के सामने मामूली सी सिख सेना थी। लेकिन सिखों ने बहुत ही वीरता से लड़ते हुए मुग़लों को भारी क्षति पहुँचाई।

भारी भरकम सेना के बावजूद मुगल सेनापति वजीर खान गुरु गोविंद सिंह को पकड़ने में नाकाम रहा। लेकिन, इस युद्ध में गुरु साहब के दो पुत्रों साहिबज़ादा अजीत सिंह व साहिबज़ादा जुझार सिंह ने शहीदी प्राप्त की। गुरु गोविंद सिंह ने इस युद्ध का वर्णन "ज़फ़रनामा" में किया है। उन्होंने बताया है कि जब वे सरसा नदी को पार कर चमकौर पहुंचे, तो किस तरह मुगलों ने उन पर घातक हमला किया।

वजीर खान किसी भी सूरत में गुरु गोविंद सिंह जी को ज़िंदा या मुर्दा पकड़ने की कोशिश में आया था, क्योंकि; औरंगजेब की लाख कोशिशों के बावजूद गुरु गोविंद सिंह मुग़लों की अधीनता स्वीकार नहीं कर रहे थे। लेकिन, गुरु गोविंद सिंह के दो बेटों सहित 40 सिक्खों ने गुरूजी के आशीर्वाद और अपनी वीरता से वजीर खान को अपने मंसूबो में कामयाब नहीं होने दिया और 10 लाख मुग़ल सैनिक भी गुरु गोविंद सिंह जी को नहीं पकड़ पाए। यह युद्ध इतिहास में सिक्खों की वीरता और उनकी अपने धर्म के प्रति आस्था के लिए जाना जाता है । गुरु गोविंद सिंह ने इस युद्ध का वर्णन “जफरनामा” में करते हुए लिखा है:-
" सवा लाख से एक लडाऊं, तबै गोबिंद सिंह नाम कहाऊं।"…..आर.के.सिन्हा.सांसद राज्य सभा