सी-प्लेन को चाहिए सिर्फ 300 मीटर लंबा रनवे, ये बातें बनाती हैं इसे खास

नई दिल्ली| पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अहमदाबाद में साबरमती नदी से मेहसाना जिले के धरोई बांध तक सी-प्लेन में सफर करेंगे. देश में इस तरह के विमान में यह अब तक की पहली उड़ान होगी. मोदी उसी सी-प्लेन से वापस भी लौटेंगे. मोदी ने एक चुनाव रैली में सोमवार को घोषणा भी की थी कि मंगलवार को देश के इतिहास में पहली बार कोई सी-प्लेन साबरमती नदी पर उतरेगा. मैं धरोई बांध पर उतरने के बाद सी-प्लेन से अंबाजी जाऊंगा और वापस आऊंगा.

सी-प्लेन
-सी-प्लेन की सबसे खास बात यह है कि यह पानी और जमीन दोनों जगह से उड़ान भर सकता है और दोनों ही जगह इसे लैंड कराया जा सकता है.

-सी-प्लेन को उड़ान भरने के लिए ज्यादा लंबे रनवे की जरूरत नहीं होती है. यह 300 मीटर लंबे रनवे से ही उड़ान भर सकता है. इस वजह से सी-प्लेन के जरिए नदी और तालाबों से भी उड़ान भरा जा सकता है. इसके लिए सिर्फ फ्लोटिंग जेट्टी की आवश्यकता है.

-सी-प्लेन की शुरुआत से भारत के हर कोने में हवाई सेवा संभव हो सकेगी. जहां पर एयरपोर्ट नहीं हैं, वहां भी यह आसानी सेवा दे सकता है इससे पर्यटन के क्षेत्र में बड़ा बदलाव होने की संभावना के तौर पर देखा जा रहा है.

-सी-प्लेन सेवा के लिए बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत नहीं है. यह समुद्र, तालाब और नदी में लैंड करने की क्षमता रखता है. जिससे छोटे शहरों में भी हवाई सेवा की शुरुआत संभव हो सकेगी. कनाडा में सी-प्लेन सेवा सबसे अधिक है.

-इसका इस्तेमाल समुद्री बचाव अभियान और जंगलों की आग बुझाने में भी किया जा सकेगा.

सी-प्लेन को सफल बनाने की बुनियादी बातें-
भारत में प्राइवेट एयरलाइन कंपनी स्पाइसजेट जल्द ही DGCA से सी प्लेन उड़ाने के लिए मंज़ूरी लेगी. ऐसा माना जा रहा है कि मंजूरी के बाद एक साल के अंदर देश में सी प्लेन सेवा शुरू करने का इरादा है. इसे लेकर यात्रियों के बड़े समूह को ध्यान में रखना जरूरी है. यह भी ध्यान देने की जरूरत है कि सी प्लेन की टिकट की कीमत आम लोगों की पहुंच तक हो.